जीवन में वैदिक ज्योतिष व ज्योतिषी का महत्व

जय गुरुदेव।
परिचय भारत ऋषि-मुनियों की वह पवित्र भूमि है, जहां जीवन के प्रत्येक क्षेत्र के लिए कोई न कोई शास्त्र रचा गया। उन्हीं शास्त्रों में से एक महानतम विज्ञान है – वैदिक ज्योतिष। प्राचीन काल से लेकर आज तक, मनुष्य के जीवन में ज्योतिष का विशेष महत्व रहा है। जब भी व्यक्ति असमंजस, भय, असफलता, रोग, शत्रुता, अथवा पारिवारिक संकटों से घिरता है, तब वैदिक ज्योतिष उसके लिए दीपक के समान मार्गदर्शक बनती है। --- 🔷 वैदिक ज्योतिष – केवल भविष्यवाणी नहीं, जीवनदर्शन बहुत से लोग यह मानते हैं कि ज्योतिष केवल भविष्य बताने की विद्या है, लेकिन यह सत्य का केवल एक पहलू है। वास्तव में वैदिक ज्योतिष जीवनदर्शन है। यह हमारे जन्म के क्षण में ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति के आधार पर बताती है कि जीवन का उद्देश्य क्या है, कौन से स्वभाव, गुण और दोष हमारे भीतर विद्यमान हैं, किस दिशा में प्रयास करने से हमें सफलता मिलेगी, और किन बातों से बचना चाहिए। उदाहरण के लिए, किसी व्यक्ति की कुंडली में मंगल नीच का है, तो उसका स्वभाव चिड़चिड़ा, गुस्सैल, या निर्णयहीन हो सकता है। यहां ज्योतिष केवल बताती नहीं, बल्कि उपाय भी देती है – जैसे लाल वस्त्र का दान, हनुमान चालीसा का पाठ, या मूंगा धारण करना। यही ज्योतिष की वास्तविक उपयोगिता है – उपाय और समाधान। आचार्य डॉ. नरहरि प्रसाद --- 🔷 ज्योतिष का मानव जीवन में महत्व ✅ १. जीवन की दिशा और उद्देश्य स्पष्ट करना: कई लोग जीवन में यही नहीं जानते कि उनकी योग्यता किस क्षेत्र में है। कोई शिक्षा में संघर्ष कर रहा है, तो कोई व्यवसाय में। जन्मकुंडली का गहन अध्ययन बताता है कि व्यक्ति के स्वभाव, रुचि और ग्रहयोग किस दिशा में सफलता देंगे। इसीलिए विद्यार्थी जीवन से ही ज्योतिष का परामर्श उपयोगी है। ✅ २. विवाह और संबंधों में सामंजस्य: विवाह में गुण मिलान (कुंडली मिलान) केवल सामाजिक परंपरा नहीं, बल्कि ग्रह-स्वभाव, स्वास्थ्य, संतान सुख, और आर्थिक स्थायित्व का सूक्ष्म परीक्षण है। अच्छे ज्योतिषी के मार्गदर्शन से तलाक, अनबन, मानसिक क्लेश जैसी समस्याओं से बचा जा सकता है। ✅ ३. स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता: कुंडली के षष्ठ भाव, अष्टम भाव, द्वादश भाव, ग्रह दृष्टियां, और दशा-अंतरदशा के अनुसार संभावित रोगों का पूर्व संकेत मिलता है। समय रहते जीवनशैली सुधारकर व्यक्ति बड़ा संकट टाल सकता है। उदाहरण: शनि की खराब दशा में जोड़ों का दर्द, वायु विकार, कमर समस्या संभव है। उपाय स्वरूप तिल का तेल, काली चीजों का दान, शनिदेव का पूजन लाभकारी होता है। आचार्य डॉ. नरहरि प्रसाद ✅ ४. आर्थिक प्रगति और व्यवसाय: व्यापारियों, नौकरीपेशा, निवेशकों के लिए भी ज्योतिषी का परामर्श उपयोगी होता है। कौन सा व्यवसाय लाभकारी रहेगा, किस दिन निवेश करें, कौन सा रत्न धारण करें – ये सभी प्रश्न सही मार्गदर्शन से हल होते हैं। आज के कॉर्पोरेट जगत में भी मुहूर्त और ग्रहीय गणना को महत्व दिया जाता है। ✅ ५. मानसिक शांति और विश्वास: जब कोई भी रास्ता नजर नहीं आता, तब ज्योतिष व्यक्ति के मन को आश्वासन देती है। ग्रह शांति उपाय, रत्न धारण, मंत्र जप, दान-पुण्य – ये सब मन और आत्मा को सुकून देते हैं। यही कारण है कि विदेशों में भी वैदिक ज्योतिष को Spiritual Counselling की तरह अपनाया जा रहा है। --- आचार्य डॉ. नरहरि प्रसाद 🔷 एक श्रेष्ठ ज्योतिषी का महत्व ज्योतिष शास्त्र जितना महान है, उतना ही महत्वपूर्ण है एक श्रेष्ठ और निष्ठावान ज्योतिषी का चयन। ✔️ सच्चा ज्योतिषी डराता नहीं, समाधान बताता है। ✔️ वह किसी समस्या को ‘भाग्य का कोप’ बताकर छोड़ता नहीं, बल्कि उपाय, पूजा, दान, रत्न, साधना के माध्यम से सकारात्मक ऊर्जा जगाता है। ✔️ एक कुशल ज्योतिषी मनोवैज्ञानिक, आध्यात्मिक मार्गदर्शक, और जीवन प्रशिक्षक के समान होता है। आजकल अनेक लोग ज्योतिष को केवल व्यवसाय समझने लगे हैं, परंतु सच्चा ज्योतिषी व्यक्ति के दुःख-दर्द को समझकर उसके उत्थान के लिए ईमानदारी से परामर्श देता है। यही उसकी तपस्या और धर्म है। --- 🔷 वैदिक ज्योतिष – विज्ञान और आध्यात्म का संगम यह जानना महत्वपूर्ण है कि वैदिक ज्योतिष पूर्णतः गणनात्मक विज्ञान है। ग्रहों की गति, नक्षत्रों की स्थिति, दशा-अंतरदशा का कैलकुलेशन ही इसका आधार है। साथ ही, इसमें मंत्र शक्ति, यज्ञ, रत्न और साधना का आध्यात्मिक पक्ष भी है। इसीलिए इसे ‘दैवी विद्या’ कहा जाता है। --- 🔷 निष्कर्ष जीवन में ज्योतिष और ज्योतिषी का महत्व वैसा ही है जैसे अंधकार में दीपक। यह केवल भविष्य नहीं बताता, बल्कि हमें अपने कर्मों का बोध कराता है, कमजोरियों को सुधारने का मार्ग दिखाता है, और एक संतुलित, शांतिपूर्ण, सफल जीवन के लिए प्रेरित करता है। यदि हम वैदिक ज्योतिष के सिद्धांतों और उपायों को जीवन में उतारें, तो निश्चय ही हमारे भाग्य और पुरुषार्थ का मेल होगा, और हमारे सपने साकार होंगे। आचार्य डॉ. नरहरि प्रसाद
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Milan Tomic

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