।। जय गुरूदेव।।
कुण्डली में उपस्थित दोषों के उपाय
जब भी कुण्डली के दोषों के विषय में बात चलती है तो अंतिम प्रश्न यही होता है कि उपाय क्या है । और जब भी ज्यौतिषी द्वारा उपाय बताए जाते है तो जातक कहता है कि कालसर्प का या केमन्द्रुम दोष का , पितृदोष का अथवा अन्य कोई भी दोष जो ज्यौतिषाचार्य द्वारा बताए जाते है, उनके उपाय तो ‘‘मैने‘‘ करवा दिया है। और फिर कहता है कि मैने उपाय करवाया मुझे कोई लम्बा लाभ नहीं हुआ, अब ज्योतिषी के मन में भी प्रश्न उपस्थित होता है कि अमुक दोषों के उपाय स्वप पूजा, रत्न, जाप तो करवा दिए है तो सुधान क्यू नहीं हुआ, जिससे जातक के मन में भी ज्योतिष और ज्यौतिषी के प्रति विश्वास में कमी आने लगती है और अन्ततः लाभ नहीं हो पाता है।
कुण्डली में उपस्थित शुभ योग जैसे गजकेसरी योग, राजयोग, विपरीत राजयोग, शुभकर्तरी योग, सरस्वती योग, धन योग, पुत्र सुख योग के बारे में हर जातक जीवन पर्यन्त लाभ चाहता है, क्यूकि उसकी कुण्डली में वह योग है किन्तु उसी कुण्डली में जो दोष उपस्थित है उन दोषों से निदान मात्र कुछ छोटे बडे उपायों द्वारा पूर्ण निदान चाहता है जिससे उस दोष का उसके जीवन पर से प्रभाव हट जाए, दूसरे शब्दों में *शुभ योगो का फल बारबार चाहता है और दुर्योगों का निदान एक बार में ही।*
यह कैसे सम्भव हो सकता है। क्या जातक की कुण्डली में धन योग है तो वह एक बार ही मिलता है, क्या सरकारी नौकरी का योग है तो क्या वह कुछ समय के लिए ही रहती है, क्या पुत्र सुख का योग है तो क्या वह उसे एक दिन ही मिलता है, क्या पत्नी सुख का योग है तो क्या वह कुछ समय के लिए ही मिलता है, नहीं।
*शुभ योग जीवन पर्यन्त फल देते है उसी प्रकार दुर्योग भी बारबार बुरा प्रभाव देने के लिए प्रतिबद्ध है।*
इसे हम ऐसे भी समझ सकते है कि जिस प्रकार से फलवाले वृक्ष हमे बारबार मीठे फल ही प्रदान करेंगे और कांटेदार वृक्ष बारबार कांटे ही प्रदान करेंगे, यह दोनो वृक्ष जन्म के समय से प्रारब्ध से आपके साथ उत्पन्न हो चुके है उन्हे जड से नहीं काट सकते क्यूकि आपका प्रारब्ध अर्थात गीता https://amzn.to/2Fb7mve में कहे अनुसार पूर्व में किया गया आपका शुभ और अशुभ कर्म है।
agar tuka lagan ki kundli kae pancham bhav mai guru or budh ki youti ho toh kaya uch shiksha prapt hogi
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