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जन्म लग्न तनुभाव प्रथमभाव

। । जय गुरूदेव । ।

जन्म लग्न तनु भाव प्रथम भाव

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जन्म कुण्डली में जन्म लग्न जिसे तनु भाव प्रथम भाव के नाम से जाना जाता है जिसे खाना नम्बर एक भी कहा जाता है ।
जन्म कुण्डली में प्रथम भाव अर्थात जन्म लग्न का बहुत ही महत्वपूर्ण वैदिक ज्यौतिष के अनुसार माना जाता है।इस भाव से सम्बन्धित कुण्डली में निम्न विषयों पर विचार किया जाता है।
जातक की प्रतिष्ठा, आयु एवं शरीर पर जन्म से प्राप्त होने वाले चिन्हों के सम्बन्धित जानकारी हमें प्रथम भाव अर्थात जन्म लग्न भाव से ही प्राप्त होती है। यहा तक की जातक के दादा व दादी से सम्बन्धित जानकारी भी इसी भाव से प्राप्त की जाती है।

जन्म लग्न तनु भाव प्रथम भाव

जन्म लग्न बहुत ही महत्वपूर्ण भाव है जहा से जीवन की यात्रा शुरू होती है और द्वादश अर्थात 12 वें भाव मोक्ष भाव में आकर जीवन यात्रा समाप्त होती है।

 जन्म कुण्डली हमें पूरे जीवन का रहस्य बताने में समर्थ है।ज्यौतिष अर्थात ब्रह्माण्ड में स्थित ज्यौर्ति पिण्डों का प्रकाश पुंजों का अध्ययन तथा उन आकाशिय प्रकाश पुंजों का मानव देह पर प्रभाव क्या होता है, के अध्ययन का विषय है ।ज्यौतिष कोई जादू टेाने का विषय नहीं होकर, जीवन के विभिन्न पडावों आकाशिय घटनाओं का मानव शरीर व मन पर होने वाले प्रभाव के अध्ययन से उससे एक हद तक बचाव का विषय है।जिसे वर्तमान समय में अन्यान्य लोगों द्वारा भ्रमित करने का विषय बनाया गया है।

जन्म लग्न तनु भाव प्रथम भाव

 ज्यौतिष एक शुद्ध वैज्ञानिक विषय है जो आकाशिय प्रकाश पुंजों के अध्ययन पर आधारित है।जातक के शरीर फिजिकल बाॅडी के पूरे विवरण का लेखा जोखा शारीरिक बनावट रंग रूप आकृति प्रकृति का विचार जन्म कुण्डली के प्रथम भाव से विचार किया जाता है। 

जन्म लग्न तनु भाव प्रथम भाव

जातक का रंग रूप का निर्णय भी प्रथम भाव से देखा जाता है। जातक की बुद्धिमत्ता से सम्बन्धित जानकारी प्रथम भाव जन्म लग्न भाव से ही देखा जाता है। जातक कितना यश प्राप्त करेगा अथवा सम्मान प्राप्त करेंगा, जीवन में आने वाले सुख व दुःखों का बैलेंस मोटे तौर पर प्रथम भाव ही बताता है। जातक को सांसारिक जन जीवनीय विवेक बुद्धि कितनी प्राप्त होगी,

जातक को जानने की कितनी जिज्ञासा रहेगी, मस्तिक एवं स्वभाव की क्रूरता अथवा सौम्यता जन्म लग्न का ही विषय है।




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