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ग्रहों के कार्य

 जय गुरूदेव॥ 



ग्रहों के कार्य


आचार्य डाॅ. नरहरि प्रसाद


नवग्रह अपने स्वभाव एवं प्रकृति के अनुसार कार्य करते रहते हैं एवं प्रत्येक राशि में अपनी दशा के अनुसार प्रभाव छोड़ते हैं। आइये देखें कि इनके मुख्य

कार्य क्या हैं?

(1) सूर्य:-यह सरकारी व प्रशासनिक कार्यों से जुड़ा है। सूर्य उदय होने

के पश्चात् ही सरकारी कार्यालय खुल जाते हैं और सूर्यास्त के समय बंद हो

जाते हैं। कुंडली में जिस व्यक्ति का सूर्य बलवान होता है वह या तो उच्च

अधिकारी बनता है या सरकारी कार्यों से उसे लाभ प्राप्त होता है। सरकार से जुड़े

कार्यों से उसे अधिक सफलता मिलती है। जैसे सरकार को माल सप्लाई

करना आदि।


(2) चंद्र:-संपत्ति, संपदा से जुड़ा है। इसमें यात्रायें, जल संबंधी कार्य,

माता का कारक, ऊपरी आमदनी, यदि चंद्र उच्च का हो तो व्यक्ति दूध, चावल

और चांदी का व्यापार ना करे। शुभ चंद्र वाले व्यक्ति को मित्र, रिश्तेदारों, एवं

बाहरी लोगों से लाभ मिलता है।


(3) मंगल:-यह पुलिस, मिल्ट्री, सिक्योरिटी आदि से जुड़ा है। इसका

कार्य सुरक्षा से जुड़ा हुआ है। जिनका मंगल शुभ होता है वह सुरक्षा संबंधी कार्य

करते हैं। मंगल का कार्य कांट-छांट करना या गोली चलाना जैसा होता है। ऐसा

व्यक्ति सफल डॉक्टर भी हो सकता है जो सर्जरी के क्षेत्र में सफलता प्राप्त

करता है।


(4) बुध:- यह व्यापार के साथ जुड़ा है। इसको मुद्रा भी कहते हैं। यह

शुभ ग्रहों के साथ कम व बुरे ग्रहों के साथ अधिक लाभदायक है। रात में बली

होता है किंतु दिन में भी समान रूप से कार्यरत रहता है।


5) बृहस्पतिः- यह ग्रह राज्य, विद्या, विवाह, ज्वैलर्स एवं व्यापार से जुड़ा

है। यह ग्रह सभी के लिए हितकारी होता है किसी को नुकसान नहीं पहुँचाता।

जिनकी कुंडली में बृहस्पति उच्च का होता है अर्थात् बलवान होता है वह

उपरोक्त क्षेत्र में विशेष सफलता प्राप्त करता है।


(6) शुक्रः- यह पत्नी, सहचरी, फैशन, फैशन डिज़ाइनर, कला, वेश्यावृत्ति

आदि से जुड़ा है। जिनका शुक्र उच्च का होता है। वह इन क्षेत्रों में अधिक

कामयाब होते हैं। शुक्र व सूर्य शत्रु ग्रह हैं अतः ये दोनों इकट्ठे नहीं रह सकते।

शुक्र की शनि से मित्रता है और शुक्र रात में अधिक प्रभावित रहता है।


(7) शनि:-इसका संबंध अंधकार से है। यह रात्रि में पश्चिम से उदय

होता है। सूर्य का पुत्र होने के पश्चात् भी दोनों में शत्रुता है। यह लोहे, कोयले,

पेट्रोल, डीजल, खनिज, मकान आदि कार्यों से जुड़ा है। शनि के दो सहायक

राहु व केतु कार्यरत् रहते हैं इस कारण रात्रि में चोरी, डकैती, सेक्स, व्यभिचार,

गैर सरकारी कार्य बढ़ जाते हैं। सूर्योदय के पश्चात् दब जाते हैं।

इस प्रकार हमने देखा कि शनि, शुक्र, राहु, केतु रात्रि में बलि होते हैं

जबकि सूर्य, मंगल, बृहस्पति सभी दिन के कार्यों से जुड़े हैं। बुध नपुंसक ग्रह

होने के कारण रात-दिन दोनों में अपना अस्तित्व बनाए रखता है। चंद्र ग्रह सभी

के साथ सामान्य रहता है।


(8) राहु-केतुः-शनि ग्रह न्याय का कार्य करता है। व्यक्ति के बुरे कर्मों

का लेखा-जोखा शनि के हिस्से में आता है जिसे कार्यान्वित करने के लिए

राहु-केतु दो छाया ग्रह शनि के अधीन हैं। जो शनि के आदेश का पालन करते हैं।

अच्छा फल दिलाने का कार्य शुभ ग्रह करते हैं जैसे बृहस्पति, शुक्र, चंद्र,

बुध आदि।

होरा- दिन एवं रात में प्रत्येक घंटे का स्वामी अलग-अलग होता है। जो

होरा कहलाता है। प्रत्येक वार के पहले घंटे का स्वामी उस दिन का स्वामी होता

है। जैसे रविवार को सूर्य उदय होने पर पहले घंटे का स्वामी सूर्य होगा। ऐसे ही

अन्य दिनों के बारे में ज्ञात कर सकते हैं।

आचार्य डाॅ. नरहरि प्रसाद - वाट्सएप - 7297875207

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Milan Tomic

Hi. I’m Designer of Blog Magic. I’m CEO/Founder of ThemeXpose. I’m Creative Art Director, Web Designer, UI/UX Designer, Interaction Designer, Industrial Designer, Web Developer, Business Enthusiast, StartUp Enthusiast, Speaker, Writer and Photographer. Inspired to make things looks better.

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