जय गुरुदेव ।
के स्थिर होने पर और गहन विचार होने पर ही धन स्थिर और एकत्रित रहता है।
चंद्रमा शुभ अवस्था में होने से व्यक्ति के मित्र अधिक होते हैं रिश्तेदारों एवं बाहरी लोगों से उस जातक को अनेकानेक रूप से लाभ प्राप्त होते हैं ।
माता को सुख कारक कहा गया है चंद्रमा सुख का कारक है और उसे माता से जोड़ा गया है इसमें एक कमजोर बिंदु यह भी भी यह भी भी है कि चंद्रमा जैसे ग्रह से युक्त होता है वैसा बन जाता है चंद्रमा की युति को समागम भी कहा गया है चंद्रमा मंगल से युत होने पर मंगल के गुणों को ग्रहण कर लेता है ।
बृहस्पति से युत होकर अमृत के समान शुभ फल देने वाला किंतु राहु केतु शनि से युक्त होकर होकर विष के समान फल देने वाला बन जाता है जिस प्रकार से माता को अपने पुत्र के बुरे लक्षणों पर पर्दा डालने की आदत प्रेम के कारण होती है उसी कारण से चंद्रमा जब किसी ग्रह से युत हो जाता है तो उसके गुण ग्रहण कर लेता है और अपना शुभत्व और शुभ प्रभाव छोड़ देता है ।
चंद्रमा के कमजोर होने पर जातक का मन भटकता रहता है विचार वायु, अधिक सोचना और सोचते-सोचते उलझ जाना, इसका दुष्प्रभाव यहा होता है कि व्यक्ति डिप्रेशन में चला जाता है और कार्य शक्ति क्षीण हो जाती है विचारों के पुल बनाता रहता है कमजोर चंद्रमा के प्रभाव से जातक अकेला रहना पसंद करता है रहना पसंद करता है रक्तचाप तथा पागल होने की स्थिति उत्पन्न हो जाती हैं।
उपाय स्वरूप जातक तो अकेला नहीं रहना चाहिए घर में बुड्ढी महिलाओं की सेवा करनी चाहिए लगभग सुबह के 9-10 बजे सूर्य का प्रकाश नित्य ग्रहण करना चाहिए।
ठंडी वस्तुएं यथा कोल्ड ड्रिंक ड्रिंक फ्रीज में रखी वस्तुओं का उपयोग नहीं करना चाहिए। जिन की प्रकृति कफ प्रधान हो ऐसी वस्तुओं के सेवन से बचना चाहिए।
संकलन आचार्य नरहरि प्रसाद
ग्रहों के कार्य में चंद्रमा।
चंद्रमा संपत्ति संपदा से जुड़ा हुआ ग्रह है द्रव्य: दाते तू चंद्रमा:
धन देने का कारक ग्रह चंद्रमा को कहा गया है । और चंद्रमा के शुभ होने पर अर्थात मनmoon, chandrama |
चंद्रमा माता से संबंधित ग्रह है माता और परिवार के बूढ़ी स्त्रियों का प्रतिनिधित्व चंद्रमा करता है ।
चंद्रमा के प्रभाव से यात्राएं जल संबंधी कार्य समुद्र में उत्पन्न होने वाली वस्तुओं से संबंधित जानकारी मुख्य व्यापार के अलावा ऊपरी आमदनी तथा जीवन में प्राप्त होने वाले सुख से संबंधित विचार चंद्रमा से किए जाते हैं, अगर कुंडली में चंद्रमा उच्च का है तो उस व्यक्ति को दूध चावल और चांदी तथा सफेद वस्तुओं का व्यापार वनस्पति से उत्पन्न वस्तुएं, औषधियों का व्यापार नहीं करना चाहिए।चंद्रमा शुभ अवस्था में होने से व्यक्ति के मित्र अधिक होते हैं रिश्तेदारों एवं बाहरी लोगों से उस जातक को अनेकानेक रूप से लाभ प्राप्त होते हैं ।
माता का सुख
माता को सुख कारक कहा गया है चंद्रमा सुख का कारक है और उसे माता से जोड़ा गया है इसमें एक कमजोर बिंदु यह भी भी यह भी भी है कि चंद्रमा जैसे ग्रह से युक्त होता है वैसा बन जाता है चंद्रमा की युति को समागम भी कहा गया है चंद्रमा मंगल से युत होने पर मंगल के गुणों को ग्रहण कर लेता है ।
बृहस्पति से युत होकर अमृत के समान शुभ फल देने वाला किंतु राहु केतु शनि से युक्त होकर होकर विष के समान फल देने वाला बन जाता है जिस प्रकार से माता को अपने पुत्र के बुरे लक्षणों पर पर्दा डालने की आदत प्रेम के कारण होती है उसी कारण से चंद्रमा जब किसी ग्रह से युत हो जाता है तो उसके गुण ग्रहण कर लेता है और अपना शुभत्व और शुभ प्रभाव छोड़ देता है ।
चंद्रमा के कमजोर होने पर जातक का मन भटकता रहता है विचार वायु, अधिक सोचना और सोचते-सोचते उलझ जाना, इसका दुष्प्रभाव यहा होता है कि व्यक्ति डिप्रेशन में चला जाता है और कार्य शक्ति क्षीण हो जाती है विचारों के पुल बनाता रहता है कमजोर चंद्रमा के प्रभाव से जातक अकेला रहना पसंद करता है रहना पसंद करता है रक्तचाप तथा पागल होने की स्थिति उत्पन्न हो जाती हैं।
उपाय स्वरूप जातक तो अकेला नहीं रहना चाहिए घर में बुड्ढी महिलाओं की सेवा करनी चाहिए लगभग सुबह के 9-10 बजे सूर्य का प्रकाश नित्य ग्रहण करना चाहिए।
ठंडी वस्तुएं यथा कोल्ड ड्रिंक ड्रिंक फ्रीज में रखी वस्तुओं का उपयोग नहीं करना चाहिए। जिन की प्रकृति कफ प्रधान हो ऐसी वस्तुओं के सेवन से बचना चाहिए।
संकलन आचार्य नरहरि प्रसाद
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